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जाति न पूछो साधू की पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार को पडा रहन दो म्यान ॥
साधु भूखा भाव का धन का भूखा नाहीं ।
धन का भूखा जो फिरै सो तो साधु नाहीं ॥
पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल।
कहै कबीर कासों कहूं ये ही दुःख का मूल ॥
प्रेम न बाडी उपजे, प्रेम न हाट बिकाई ।
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाई ॥
कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर ।
जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर ॥
हाड जले लकड़ी जले, जले जलावन हार ।
कौतिकहारा भी जले, कासों करूं पुकार ॥
रात गंवाई सोय कर, दिवस गंवायो खाय ।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय ॥
मन मैला तन ऊजला, बगुला कपटी अंग ।
तासों तो कौआ भला, तन मन एकही रंग ॥