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संत कबीर दास जी के दोहे
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ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।।
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ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये
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