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संत कबीर दास जी के दोहे

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जब मैं था तब हरि नहीं

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe
jab main tha tab hari nahi

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं ।
प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं ॥

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पढ़ी पढ़ी के पत्थर भया

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe

पढ़ी पढ़ी के पत्थर भया लिख लिख भया जू ईंट ।
कहें कबीरा प्रेम की लगी न एको छींट ॥
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जाति न पूछो साधू की

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe
jaati na puchho sadhu ki

जाति न पूछो साधू की पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार को पडा रहन दो म्यान ॥
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साधु भूखा भाव का

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe
sadhu bhookha bhaav ka

साधु भूखा भाव का धन का भूखा नाहीं ।
धन का भूखा जो फिरै सो तो साधु नाहीं ॥
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पढ़े गुनै सीखै सुनै

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe

पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल।
कहै कबीर कासों कहूं ये ही दुःख का मूल ॥
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प्रेम न बाडी उपजे

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe
prem na baadee upaje

प्रेम न बाडी उपजे, प्रेम न हाट बिकाई ।
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाई ॥
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कबीर सोई पीर है

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe

कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर ।
जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर ॥
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हाड जले लकड़ी जले

 hindi dohe, kabir das ke dohe, kabir ke dohe
Haad Jale Lakdee Jale

हाड जले लकड़ी जले, जले जलावन हार ।
कौतिकहारा भी जले, कासों करूं पुकार ॥
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